जमानत (bail) का प्रावधान दंड प्रक्रिया संहिता के अध्याय 33 में किया गया है। मुख्य रूप से देखा जाए तो दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 436,धारा 437, धारा 438 के तहत कोर्ट में जमानत याचिका( बेल )फाइलकिया जाता है।
धारा 436 दण्ड प्रकिया संहिता के तहत जमानतीय धाराओ
में जमानत याचिका(बेल )फाइल किया जाता हैं।
धारा 437 दण्ड प्रकिया संहिता के तहत अजमानतीय/गैरजमानतीय धाराओ में बेल फाइल किया जाता है।
धारा 438 दण्ड प्रक्रिया संहिता के तहत अग्रिम जमानत याचिका दायर किया जाता है।
जमानत याचिका दायर करने से पहले यह जाँच कर लेना चाहिए कि FIR में किस किस अधिनियम का कौन कौन सा सेक्शन(धारा) आरोपीत पर लगा है। तथा कौन सा धारा जमानतीय है और कौन सा अजमानतीय,अगर सभी जमानतीय धारा है तो धारा 436 दण्ड प्रक्रिया संहिता के तहत जमानत याचिका फाइल करेंगे लेकिन अगर अजमानती धारा लगा है तो 437 के तहत बेल फाइल करेंगे। अगर आरोपित कारागार में नही है तो धारा 438 के तहत अग्रिम जमानत फाइल करेंगे।
नियमित जमानत धारा 436 एवं धारा 437 दण्ड प्रकिया संहिता के तहत CJM के पास फाइल किया जाता है।तथा
अग्रिम जमानत धारा 438 के तहत सत्र न्यायाधीश या उच्च न्यायालय में फाइल किया जाता है।
जमानत याचिका दायर करने की प्रक्रिया:-
1) F.I.R. पढ़ना और समझना
2) जमानत याचिका लिखना
3)जमानत याचिका को 2 बार चेक करना
4)जमानत याचिका पर कोर्ट फी चिपकाना या फ्रेंकिग मशीन द्वारा कोर्ट फी जमा कर के जमानत याचिका पर प्रिंट करना
5)कंप्यूटर रूम/सर्वर रूम मे बेल याचिका की एंट्री कराना
6) जमानत याचिका की एक कॉपी सम्बंधित न्यायालय में जमा करना
7) अपना नम्बर आने पर जमानत के लिए बहस करना।
8)जमानत याचिका स्वीकार होने पर धन्यवाद ज्ञापन करना।
नोट- एक जमानत याचिका से अनेक आरोपितों के लिए जमानत याचिका दायर किया जा सकता है।
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